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संसद भवन में भित्ति चित्र

जैसे ही कोई व्यक्ति संसद भवन में प्रवेश करता है तो वह भूतल पर बाह्य गोलाकार गलियारे में भित्ति चित्रों से सुशोभित दीवारों को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है । ये चित्र भारत के प्रतिष्ठित कलाकारों की कलाकृतियां हैं जिनमें वैदिक काल से लेकर ब्रिटिश काल से होते हुए वर्ष 1947 में स्वातंत्र्य प्राप्ति तक के इस देश के लम्बे इतिहास के कुछ दृश्य दर्शाए गए हैं ।

सार्वजनिक स्थलों, मन्दिरों और राजमहलों आदि को चित्रकला और भित्तिचित्रों से सजाने की प्रथा अनादि काल से शुरू होकर हम तक पहुँची है । ये कलाकृतियाँ तत्कालीन समाज में रहने वाले व्यक्तियों के जीवन, संस्कृति और परम्पराओं का प्रतीकात्मक रूप हैं । अब हमारे लिए ये कलाकृतियां विगत में भारत में विकसित महान सभ्यताओं और साम्राज्यों तथा महान राजाओं और योद्धाओं और ऋषियों जिन्होंने अपने प्रयासों से हमारे इस देश को गौरवान्वित किया है, का स्मरण दिलाती है । अजन्ता, एलोरा और एलिफेंटा गुफाएं सदियों पहले देश में प्रफुल्लित अवस्था में रही महान कलाओं की याद दिलाने वाला जीवंत उदाहरण हैं । इस तरह यह स्वाभाविक था कि आधुनिक भारत के स्रष्टाओं ने लोकतंत्र के आधुनिक मंदिर अर्थात संसद भवन को इस देश के इतिहास के महान पलों को दर्शाने वाले चित्रों से सजाना उचित समझा और इस तरह कुछ हद तक "भारत" की महान गरिमा को पुनरुज्जीवित करने का प्रयास किया । यह योजना लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष स्वर्गीय श्री जी.वी.मावलंकर के दिमाग की उपज थी । वर्ष 1951 में लोक सभा अध्यक्ष (श्री जी.वी. मावलंकर) की अध्यक्षता में प्रमुख संसद सदस्यों, प्रतिष्ठित विद्वानों, पुरातत्ववेत्ताओं, इतिहासकारों को शामिल करके एक आयोजना समिति गठित की गई । समिति ने संसद भवन के भूतल के गलियारे को अनुमानतः 3 लाख लागत पर 125 पैनलों (आकार 11.9" x 4.11/2") और 46 मोटिफ़ों से सजाने की एक विस्तृत योजना तैयार की । संशोधित योजना के अनुसार संसद भवन के भूतल के गलियारे को 59 पैनलों से सजा दिया जाएगा । योजना का निष्पादन करने की दृष्टि से वर्ष 1954 में प्रसिद्ध कलाकारों, इतिहासकारों, पुरातत्ववेत्ताओं और पुरातत्व रसायनज्ञों को सम्मिलित कर कलाकार उप-समिति नियुक्त की गई । इस उप-समिति ने देश में चुनिंदा कलाकारों से पैनलों पर चित्रकारी कराने के लिए एक विस्तृत और व्यवस्थापरक प्रक्रिया निर्धारित की ।

भित्तियों की चित्रकारी के लिए चयनित कलाकारों को अलग-अलग क्षेत्रों में बाँट दिया गया है और प्रत्येक क्षेत्र एक अवैतनिक कलाकार पर्यवेक्षक के प्रभाराधीन है जो कलाकार उप-समिति का एक सदस्य भी है । कलाकार पर्यवेक्षक अपने-अपने क्षेत्र में कलाकारों के कार्य में मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण करते हैं । प्रत्येक पैनल तीन चरणों से गुजरता है अर्थात् मैसोनाइट बोर्ड पर कलर स्कैच, पेन्सिल कार्टून और अंतिम चित्रकारी । कार्य को हर चरण पर कलाकार पर्यवेक्षक और कलाकार उप-समिति विशेषकर उप-समिति के इतिहासकार सदस्यों द्वारा अनुमोदित किए जाने की व्यवस्था थी ।

अब तक 58 पैनल पूरे कर लिए गए हैं और संसद भवन के भूमितल पर बाहरी गलियारे में प्रदर्शित कर दिए गए हैं । प्रदर्शित पैनलों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

पैनल सं0 1

ध्यान का भारतीय सिद्धांत दर्शाती शिव की योगी रूप मुद्रा । साथ ही, मोहनजोदड़ो से साँड और एक श्रृंगक ।

((तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व)

चित्रकार - श्री एच.वी. रामगोपाल, चेन्नई ।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री के.सी. एस. पाणिकर, चेन्नई ।

पैनल सं0 2

नर्तक बालिका की धातु प्रतिमा और पुजारी की पाषाण उत्कीर्ण प्रतिमा । मोहनजोदड़ो से (तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व)

चित्रकार - श्री रामकृष्ण राव, चेन्नई ।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री के.सी. एस. पाणिकर, चेन्नई ।

पैनल सं0 3 

यह पैनल महाकाव्य रामायण के दो दृश्य दर्शाता है ।

पहला दृश्य " मा निषाद " आदि उद्धरण के साथ वाल्मीकि की करुणा को दर्शाता है । दूसरा दृश्य आर्य और आस्ट्रिक संस्कृतियों के मेल के प्रतीक के रूप में राम और गुहा (निषाद राज) की भेंट को दर्शाता है ।

चित्रकार - श्री के. श्रीवासुलू, चेन्नई ।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री के.सी.एस. पाणिकर, चेन्नई ।

पैनल सं0 4 

राम राज्य की स्थापना को दर्शाता दृश्य। इसमें मुख्य चित्र राम, सुग्रीव, हनुमान, वशिष्ठ, लक्ष्मण, सीता, भरत, शत्रुघ्न और तीनों माताओं कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को दर्शाया गया है।

चित्रकार - श्री पी.एल. नरसिंह मूर्ति, चेन्नई।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री के.सी. एस. पाणिकर, चेन्नई।

पैनल सं0 5 

(क) " नमो धर्मय महते धर्मो धार्यति प्रजाः" धर्म (विधि, धर्मनिष्ठा और सत्य) की महानता संबंधी उक्ति के साथ महाभारत के रचयिता ऋषि कृष्ण द्वैपायण।

(ख) प्रथम विधि निर्माता मनु।

चित्रकार और चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री के.सी.एस. पाणिकर, चेन्नई।

पैनल सं0 6 

जनक द्वारा बुलाई गई प्रथम भारतीय दर्शनशास्त्रियों की सभा का दृश्य - जनक और याज्ञवल्क्य, साथ ही मैत्रेयी, गार्गी, सौलम और अष्टावक्र भी दर्शाए गए हैं।

चित्रकार - श्री एस. धनपाल, चेन्नई।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री के.सी. एस. पाणिकर, चेन्नई।

पैनल सं0 7 

महावीर (छठी शताब्दी ईसा पूर्व) तथा उनकी दोनों ओर हैं आदिनाथ और पार्श्वनाथ, सभी उचित प्रतीकों के साथ बैठे हैं। श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की प्रतिमा भी दर्शायी गई है।

चित्रकार - श्री ए. बालकृष्णन, चेन्नई।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री के.सी. एस. पाणिकर, चेन्नई।

पैनल सं0 8 

बुद्ध की परख जिसमें बुद्ध वज्रासन पर बैठे हैं और उनके एक ओर मारा तथा उनके आथितेय और दूसरी ओर उनकी पुत्रियां हैं (छठी शताब्दी ईसा पूर्व)

चित्रकार - श्री एस.सेन रॉय, नई दिल्ली।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री बरद उकिल, दिल्ली।

पैनल सं0 9 

विधि चक्र (धर्म-चक्र प्रवर्तन) को घुमाते बुद्ध इसमें बुद्ध के प्रथम पांच शिष्यों को भी सारनाथ में दर्शाया गया है और प्रतीक में धर्मचक्र तथा उसकी दोनों और दो शय्यास्थ हिरण दर्शाए गए हैं।

चित्रकार - श्री सुशील सरकार, चण्डीगढ़।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री बरद उकिल, दिल्ली।

पैनल सं0 11 

पूर्ववर्ती गणों जैसे अंधक, वृष्णी, यौद्धेय, मालव आदि के सिक्कों को दर्शाता लिच्छवी वंश के वरिष्ठजनों का भेंट सूचक दृश्य।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री बरद उकिल, दिल्ली।

पैनल सं0 12

पाणिनी (500 ईसा पूर्व) और चाणक्य (चौथी शताब्दी ईसा पूर्व)।

चित्रकार - श्री प्रताप चन्द्र सेन, नई दिल्ली।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री बरद उकिल, दिल्ली।

पैनल सं0 13

सिकन्दर और राजा पौरव (पोरस) सिकन्दर के समक्ष एक बंदी के रूप में (चौथी शताब्दी ईसा पूर्व)

चित्रकार - श्री एस.सेन. रॉय, नई दिल्ली

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री ओ.पी. शर्मा, नई दिल्ली

पैनल सं0 14 

(क) विभिन्न देशों में संदेश का प्रचार करते हुए अशोक। अशोक, भिक्षुगण और यूनानी सम्राट (तीसरी शताब्दी ईसापूर्व)

(ख) अशोक की बौद्ध परिषद

चित्रकार - श्री बी.एन. जिज्जा, दिल्ली

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री बरद उकिल, दिल्ली

पैनल सं0 15

बोधि वृक्ष के साथ महेन्द्र और संघमित्रा की श्रीलंका में प्रतिनियुक्ति - अजंता की गुफा-1 का दृश्य (तीसरी शताब्दी ईसापूर्व)

चित्रकार - श्री अमूल्य गोपाल सेन शर्मा, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 16

बौद्ध भिक्षु, नागसेन से चर्चा करते हुए सम्राट मिनेण्डर। मिलिन्द पान्डो से उद्धरण (द्वितीय शताब्दी, ईसापूर्व) और मिनेण्डर का एक सिक्का

चित्रकार - श्री अमूल्य गोपाल सेन शर्मा, कोलकाता।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 17

पुष्यमित्र शुंग और पतंजलि - उनका यज्ञ जिसमें स्थानापन्न पुजारी के रूप में पतंजलि (द्वितीय शताब्दी, ईसापूर्व) अश्व, युवा, राजा और ऋषियों के एक समूह को भी दर्शाया गया है।

चित्रकार - श्री धीरेन्द्रनाथ ब्रह्म, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 18

दरबार के दृश्य की पृष्ठभूमि में अपने स्तंभ के साथ हेलिओडोरस। विदिशा के राजा भागभद्र के दरबार में राजदूत के रूप में होलिओडोरस और शिलालेख से एक उद्धरण (द्वितीय शताब्दी ईसापूर्व)

चित्रकार - श्री धीरेन्द्र नाथ ब्रह्म, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 19 

कलिंग के सम्राट महामेघवाहन खारवेल और उनके शासन के तेरहवें वर्ष मे उदयगिरि में आयोजित उनकी जैन परिषद (द्वितीय, ईसापूर्व)

चित्रकार - श्री सुशील चन्द्र सेन, उत्तरपाड़ा, जिला हुगली।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता।

पैनल सं0 20 

कनिष्क की बौद्ध परिषद (पहली शताब्दी) - विभिन्न संस्कृतियों यथा जोराष्ट्रियन, बौद्ध और ब्राह्मण के सम्मिश्रण का युग। इसमें कनिष्क की शवपेटिका और विभिन्न प्रकार के सिक्कों को भी दर्शाया गया है जिन पर हिन्दू, बौद्ध तथा जोराष्ट्रियन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं।

चित्रकार - श्री इन्दिरा डुगर, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 21

आरंभिक काल के बौद्ध दार्शनिक- अश्वघोष-पहली शताब्दी, नागार्जुन - दूसरी शताब्दी वसुबंधु - चौथी शताब्दी दिन नाग - पांचवीं शताब्दी

चित्रकार - श्री इन्द्र डुगर, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस. एन. घोषाल, कोलकाता।

पैनल सं0 22

"चरक और सुश्रुत"

चित्रकार - सुहास रॉय, कोलकाता

पैनल सं0 23

रूद्रदमन और गौतमी पुत्र शातकर्णी (दूसरी शताब्दी)

चित्रकार - श्री सईद बिन मोहम्मद, हैदराबाद

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री विश्वनाथ मुखर्जी, दिल्ली।

पैनल सं0 25

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य और कालिदास एक उद्धरण सहित - "एक समृद्ध राष्ट्र धरती का स्वर्ग है" - (ऋद्धम ही राज्यम पदमैन्द्रम आहु) - रघुवंश (सर्ग-दो, श्लोक-50), अपने दरबारियों और पदाधिकारियों के साथ घिरे हुए सम्राट को कालिदास अपनी कृति रघुवंशम की पांडुलिपि पढ़कर सुनाते हुए (चौथी शताब्दी)

चित्रकार - श्री एस.डी. चावड़ा, मुंबई

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री गोपाल डी. डय़ूश्कर, मुंबई

पैनल सं0 27

अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंधों यथा बेगराम और पॉम्पी से भारतीय हाथीदांत तथा मेसोपोटामिया में पाई गई मोहनजोदड़ो की मुहर तथा इसी तरह की अन्य चीजें को दर्शाने वाला मानचित्र। सन् 1947 में आयोजित अन्तः एशियाई प्रदर्शनी से संबंधित पुनः प्रस्तुत मानचित्र जिसमें अन्य एशियाई देशों के साथ भारत का संबंध दर्शाया गया है।

चित्रकार - श्री विष्णुदास रामदास, मैसूर

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री विश्वनाथ मुखर्जी, दिल्ली

पैनल सं0 28

(क) जावा में भारतीय नौ सेना व्यापारियों का अवतरण।

(ख) फु-नम में कॉन्डिन्य का आगमन।

चित्रकार - श्री जगदीश मित्तल, हैदराबाद

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री विश्वनाथ मुखर्जी, दिल्ली।

पैनल संख्या 29

चीन में भारतीय विद्वान - कश्यप मातंगा (पहली शताब्दी, ईस्वी); कुमारजीवा (383-412 ई.); धर्मरक्षा (5वीं शताब्दी ईस्वी)

चित्रकार - श्री विनोद शाह और विनोद रे पटेल, बड़ौदा।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 30

कश्मीर के राजकुमार गुणवर्मण का ईस्ट इंडीज और दक्षिण चीन की यात्रा (पांचवीं शताब्दी ई.)

चित्रकार - सुश्री कुमुद पटेल, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक- श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 31

हर्षवर्धन नालंदा विश्वविद्यालय के प्रतीक चिह्न वाले मुहर के साथ चीनी यात्री ह्वेनसांग का स्वागत करते हुए (सातवीं शताब्दी ई.)

चित्रकार - श्री फिरोज एन. कटपिटिया, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 32 

आर्यभट्ट (पांचवीं शताब्दी ई.) और वाराहमिहिर (सातवीं शताब्दी ई.)

चित्रकार - सुश्री कुमुद पटेल, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 33

इरान के खुसरो परवेज से उपहार प्राप्त करते हुए सम्राट पुल्केशिन के दरबार का संभावित दृश्य (सातवीं शताब्दी ई.) - अजंता की गुफा 1 से,

चित्रकार - सुश्री कुमुद पटेल, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा।

पैनल संख्या 34

पैनल संख्या 34 गंगा का अवतरण और भगीरथ की तपस्या, महाबलीपुरम तथा सिंहविष्णु और उनकी पत्नियों के चित्र - (सातवीं शताब्दी (ए.एच. लोन्गहर्स्ट, पल्लव वास्तुकला))

चित्रकार - श्री एस. सेन राय, नई दिल्ली।

पैनल संख्या 35 

जनता द्वारा चुना गया सम्राट गोपाल (नौवीं शताब्दी ई.)

चित्रकारः श्री वी.पी. त्रिवेदी, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 36

नालंदा के शांतरक्षिता की तिब्बत यात्रा (8वीं शताब्दी ई.), उदयन के पद्मसंभव (8वीं शताब्दी ई.), विक्रमशिला के सृजनना दीपांकर अतिसा (980 ई.) और कमलशिला।

चित्रकार - श्री जे.एम. अहीवासी, बनारस।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री पी. कर्माकर, बम्बई।

पैनल संख्या 37

राजेन्द्र चोल और श्रीलंका, निकोबार, कांद्रा के लिए उनका नौसेना अभियान और सैलेन्द्र साम्राज्य पर विजय के लिए अभियान का चित्र।

चित्रकार - श्री के.के. हेब्बर, बम्बई।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री गोपाल डी. डय़ूसकर, बम्बई, ई.

पैनल संख्या 38 

शंकराचार्य और रामानुजाचार्य

चित्रकारः श्री बी.एन. जिज्जा, दिल्ली।

पैनल संख्या 41

पृष्ठभूमि में भोजशाला के साथ परमार भोज (कमाल मौला मस्जिद) (12वीं शताब्दी ई.)

चित्रकारः श्री जी.एम. सोलेगांवकर, बंबई

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री वी.पी. कर्माकर, बंबई।

पैनल संख्या 42 

कोटला फिरोजशाह के साथ फिरोजशाह तुगलक, पृष्ठभूमि में अशोक स्तम्भ दर्शाते हुए (14वीं शताब्दी ई.)

चित्रकार - श्री वाई.के. शुक्ल, वनस्थली विद्यापीठ राजस्थान।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री गोपाल डी.डय़ूसकर, बम्बई।

पैनल संख्या 44 

शेरशाह सूरी तथा पृष्ठभूमि में पुराना किला का मुख्य द्वार (16वीं शताब्दी)

चित्रकार - इंदु रक्षित, सत्य लोक, कलकत्ता।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कलकत्ता।

पैनल संख्या 45 

दरबार दृश्य में अकबर, टोडरमल, तानसेन, अबुल फजल, फैजी और अर्ब्दुरहीम खानखाना (16वीं शताब्दी ई.)

चित्रकारः श्री एम.के. शर्मा, जयपुर

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री ओ.पी. शर्मा, नई दिल्ली।

पैनल संख्या 46

राणा प्रताप अपने घोड़े "चेतक" तथा पृष्ठभूमि में चित्तौड़गढ़ का द्वार है (1572-1579 ई.)

चित्रकारः श्री रमेश पांडय़ा, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 47

विजयनगर के कृष्णदेव राय (तिरुपति में सम्राट की प्रतिमा) (16वीं शताब्दी ई.)

चित्रकारः श्री एम.एस. चंद्रशेखर, बंगलौर।

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री ओ.पी. शर्मा, नई दिल्ली।

पैनल संख्या 48

"बीजापुर के इब्राहिम आदिलशाह और चाँद बीबी"

चित्रकार - बिरेश्वर भट्टाचार्यजी, पटना (बिहार)

पैनल संख्या 49

जहाँगीर (1605-1627 ईस्वी) और नूरजहां

चित्रकार - श्रीमती प्रभा वी. डोंगारे, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 50  

लाल किला के दिल्ली गेट की पृष्ठभूमि में शाहजहाँ (1627-1658 ईस्वी) और मुमताजमहल

चित्रकार - श्री भूपेन्द्र एम. देसाई, मुम्बई

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एन.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 51

शिवाजी और रामदास

चित्रकार- श्री एफ.एन. काटपिटिया, बड़ौदा

पैनल संख्या 54

ग्वालियर किले के मुख्य द्वार की पृष्ठभूमि में माधोजी सिंघिया (1761-1794 ईस्वी)

चित्रकार - श्री नागेन्द्र चन्द्र भट्टाचार्य, नई दिल्ली

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री बरद उकिल, दिल्ली

पैनल संख्या 59 

एक साथ घुड़सवारी करते हुए झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और तांत्या टोपे

चित्रकार - श्री मधु पावले, मुम्बई

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री ओ.पी. शर्मा, नई दिल्ली

पैनल संख्या 63 

मीराबाई (1498-1546 ईस्वी), सूरदास (1479-1586 ईस्वी) और तुकाराम (17वीं शताब्दी ईस्वी)

चित्रकार - श्री बिहारी सी. भरभैया, बड़ौदा

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एम.एस. बेन्द्रे, बड़ौदा

पैनल संख्या 64 

गुरु नानक (1469-1538 ईस्वी) गुरु गोविन्द (1660-1708 ईस्वी)

चित्रकार - श्री शोभा सिंह, हिमाचल प्रदेश

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री विश्वनाथ मुखर्जी, दिल्ली

पैनल सं0 72

दयानन्द सरस्वती (1824-1883 ईस्वी), केशव चन्द्र सेन (1838-1884 ईस्वी)

चित्रकार - श्री सत्यनारायण मुखर्जी, पटना

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 74 

रवीन्द्रनाथ टैगोर (1861-1941 ईस्वी)

चित्रकार - श्री अमित सरकार, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 77

सांची स्तूप सं0 1 के उत्तर भाग के प्रवेश द्वार (ईसा पूर्व पहली सदी)

चित्रकार - श्री एन.सी. भट्टाचार्य दिल्ली

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री विश्वनाथ मुखर्जी, दिल्ली

पैनल सं0 85

सूर्य मन्दिर, कोणार्क (12वीं शताब्दी ईस्वी)

चित्रकार - श्री अजित कृष्ण गुप्त, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री एस.एन. घोषाल, कोलकाता

पैनल सं0 93

गोल गुम्बद, बीजापुर (17वीं शताब्दी ईस्वी)

चित्रकार - श्री आर.डी. धोपेश्वरकर, मुम्बई

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री गोपाल डी. डय़ूस्कर, मुम्बई

पैनल सं0 114

"भारत छोड़ो संकल्प (1942 ईस्वी)"

चित्रकार - श्री सत्येन घोषाल (कोलकाता)

पैनल सं0 115 

दाण्डी यात्रा, 1930 ईस्वी

चित्रकार - श्री आर.एन. परीख, अहमदाबाद

चित्रकार पर्यवेक्षक - श्री गोपाल डी. डय़ूस्कर, मुम्बई

पैनल सं0 117 

लाल किले में राष्ट्रीय झण्डा फहराना

चित्रकार - श्री बिमल दास गुप्त, दिल्ली

चित्रकार पर्यवेक्षक- श्री बरद उकिल, दिल्ली

पैनल सं0 124 

आई.एन.ए. और सुभाषचन्द्र बोस (1897-1945 ईस्वी)

चित्रकार - श्री गणेश हलाई, कोलकाता

चित्रकार पर्यवेक्षक- श्री ओ.पी. शर्मा, नई दिल्ली

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