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लोक सभा और राज्य सभा के चैम्बर संसद भवन में अवस्थित है । इस बृहत् गोलाकार भवन का निर्माण सन् 1921 में प्रारंभ हुआ था और इसे वर्ष 1927 में पूरा किया गया । लोक सभा जिस चैम्बर में अब कार्य कर रही है वर्ष 1947 तक वह चैम्बर केन्द्रीय विधान सभा का था ।

लोक सभा कक्ष (चैम्बर)

लोक सभा कक्ष घोड़े की नाल के आकार का है । अध्यक्ष का आसन अर्धवृत्त के दो सिरों को मिलाने वाले व्यास के मध्य में एक ऊँचे मंच पर स्थित है ।

आसन के दाहिने ओर अधिकारी दीर्घा है जो सभा के कार्य के संबंध में मंत्रियों के साथ सरकारी कार्य के लिए उपस्थित रहते हैं । आसन के बायीं ओर एक विशेष बाक्स होता है जो सदस्यों के परिवार के सदस्यों और राष्ट्रपति के अतिथियों, राज्यों के राज्यपाल, दूसरे देशों के प्रमुख और प्रधानमंत्रियों, आगंतुक संसदीय शिष्टमंडल तथा अतिविशिष्ट व्यक्तियों के लिए आरक्षित है, जिनको वहां पर अध्यक्ष के विवेक पर बैठने की अनुमति होती है ।

सभा भवन में अध्यक्ष की मेज के समक्ष ठीक नीचे महासचिव का आसन है । उनके सामने सभा के अन्य अधिकारियों और सरकारी रिपोर्टरों के लिए एक बड़ी मेज लगी है । सभा भवन में 550 सदस्य बैठ सकते हैं । बैठने के स्थानों को छह ब्लॉकों में विभाजित किया गया है तथा प्रत्येक ब्लॉक की ग्यारह पंक्तियां हैं । सभी दलों और समूहों को सभा में उनकी संख्या के अनुपात में बैठने की जगह आवंटित की गई है । अध्यक्षपीठ के दायीं ओर के स्थानों पर सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य बैठते हैं और बायीं ओर विपक्षी पार्टी/समूह बैठते हैं ।

संविधान के अनुसार, लोक सभा -

(क) राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए पांच सौ तीस से अनधिक सदस्यों;

क. अध्यक्षपीठ

ख. महासचिव का आसन

ग. सभा के अन्य अधिकारियों और रिपोर्टरों के लिए टेबल

घ. सत्ता पक्ष के सदस्य

ङ विपक्षी दलों/समूहों के सदस्य

च. मत विभाजन के परिणामों को दर्शाने वाले बोर्ड

छ. अधिकारी दीर्घा

ज. विशेष बाक्स

झ. प्रेस दीर्घा राजनयिक दीर्घा

ट. अतिविशिष्ट आगंतुक दीर्घा

ठ. अध्यक्ष दीर्घा

ड. राज्य सभा दीर्घा

ढ. विशिष्ट दीर्घा

ण. दर्शक दीर्घाएं

(ख) संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए, ऐसी रीति से, जो संसद विधि द्वारा उपबंधित करे, चुने हुए बीस से अनधिक सदस्यों; और

(ग) यदि राष्ट्रपति की यह राय है कि लोक सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित इस समुदाय के दो से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी ।

यथासंशोधित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और संविधान के अनुच्छेद 331 में लोक सभा की निम्नवत संरचना का उपबंध है

(एक) राज्यों से                               530 (सभी निर्वाचित)

                        (दो) संघ राज्य क्षेत्र                  13 (सभी निर्वाचित)  

                       (तीन) आंग्ल-भारतीय                              2 (संविधान के अनुच्छेद 331 के अधीन राष्ट्रपति द्वारा यदि नामनिर्दिष्ट किया जाता है)

                                                                                  545 (कुल)

लोक सभा कक्ष (चैम्बर) के पहले तल पर विभिन्न दर्शक दीर्घाएं और प्रेस दीर्घा स्थित हैं । प्रेस दीर्घा अध्यक्ष पीठ के ठीक ऊपर की ओर है और इसके बायीं ओर अध्यक्ष दीर्घा है (अध्यक्ष के अतिथियों के लिए) राज्य सभा दीर्घा (राज्य सभा के सदस्यों के लिए है) विशेष दीर्घा (सदस्यों के पुत्रों, पुत्रियों, पिता और माता के लिए है) है । सार्वजनिक दीर्घा कक्ष के अर्द्धगोलाकार भाग में है । इससे आगे राजनयिक और अतिविशिष्ट दर्शक दीर्घाएं हैं ।

कक्ष से सटे और इसके साथ-साथ दो आच्छादित कॉरिडोर हैं जिनको भीतरी और बाहरी लाबी कहा जाता है । ये लाबियां उपयुक्तानुसार सुसज्जित हैं ताकि सदस्य वहां आराम से बैठकर आपस में अनौपचारिक विचार विमर्श कर सकें ।

साथ-साथ भाषांतरण प्रणाली

लोक सभा कक्ष साथ-साथ भाषांतरण प्रणाली से सुसज्जित है जिसकी सहायता से सदस्य हिन्दी में दिए गए भाषण का अंग्रेजी संस्करण, अंग्रेजी में दिए भाषण का हिन्दी संस्करण और साथ ही साथ कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल और तेलुगु में दिए भाषण का अंग्रेजी तथा हिन्दी संस्करण साथ-साथ सुन सकते हैं । इस प्रयोजन के लिए प्रत्येक सीट पर ईयरफोन और भाषा चयन का स्विच लगा होता है जिसका उपयोग करके कोई भी सदस्य अपनी पसंद की भाषा में कार्यवाही को सुन सकता है । कार्यवाहियों के साथ-साथ भाषांतरण की सुविधा संसदीय भाषांतरकारों द्वारा प्रदान कराई जाती है जिनके बूथ (हिन्दी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा के भाषान्तरकारों के लिए एक-एक) सरकारी दीर्घा और विशेष बाक्स के निकट कक्ष के दोनों कोनों में स्थित हैं ।

सभा की प्रक्रिया

लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन नियम और अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों के अधीन लोक सभा की कार्यवाही चलाई जाती है । कार्य की मदें, सूचना, जो मंत्री/गैर सरकारी सदस्यों से प्राप्त होती तथा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार की जाती है, को दैनिक कार्यसूची में शामिल किया जाता है जिनको मुद्रित कराकर अग्रिम रूप में सदस्यों को परिचालित कराया जाता है । सभा द्वारा विचारार्थ लिए जाने वाले अन्य विभिन्न मदों के लिए कार्य मंत्रणा समिति की सिफारिशों पर सभा द्वारा समय का नियतन किया जाता है ।

बैठकों का समय

सत्र के दौरान, लोक सभा की बैठकें प्रायः पूर्वाह्न 11.00 बजे से अपराह्न 1.00 बजे तक तथा अपराह्न 2.00 बजे से सायं 6.00 बजे तक होती है । किसी-किसी दिन बैठक जो सभा के समक्ष कार्य पर निर्भर करती है बिना मध्याह्न भोज अवकाश के चलती है । यह सायं 6 बजे के बाद भी चलती है । लोक सभा की बैठकें सामान्यतः शनिवार, रविवार और अन्य अवकाश के दिनों में नहीं होती है ।

बैठक का आरम्भ

बैठक का आरंभ होने के लिए निर्धारित समय पर मार्शल यह सुनिश्चित कर लेने पर कि सभा में लोक सभा अध्यक्ष सहित गणपूर्ति के लिए अपेक्षित 55 सदस्य उपस्थित हैं, हिन्दी में घोषणा करता है (माननीय सभासदो, माननीय अध्यक्ष) तत्पश्चात लोक सभा अध्यक्ष अपने कक्ष से चलकर सभा में अपने आसन पर पहुंचते हैं और सदस्यगण अपने-अपने स्थान पर खड़े हो जाते हैं । सभा के चारो ओर झुककर या हाथ जोड़ कर नमस्कार करने के पश्चात, जिसके प्रत्युत्तर में सदस्य भी अध्यक्षपीठ की ओर झुककर या हाथ जोड़ कर नमस्कार करते हैं, अध्यक्ष अपने आसन पर बैठते हैं । तत्पश्चात सदस्य अपने अपने स्थान पर बैठ जाते हैं और सभा की कार्यवाही आरंभ हो जाती है ।

कार्य सूची में दिए गए कार्यों को लेने से पूर्व, ऐसे नए सदस्य, जिन्होंने शपथ या प्रतिज्ञान नहीं लिया है वे शपथ या प्रतिज्ञान लेते हैं । किसी वर्तमान या भूतपूर्व सदस्य या प्रख्यात व्यक्तित्व की मृत्यु की दशा में, प्रश्नकाल से पहले निधन संबंधी उल्लेख होता है ।

प्रश्नकाल

लोक सभा की प्रत्येक बैठक का पहला घंटा प्रश्न काल कहा जाता है । संसद में प्रश्न पूछना सदस्यों का स्वतंत्र तथा निर्बाध अधिकार है । प्रश्न काल के दौरान वे प्रशासन एवं राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सरकार की नीतियों के विभिन्न पहलुओं पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं । प्रत्येक मंत्री उत्तर देने की बारी आने पर खड़े होकर अपने मंत्रालय के कृत्यों के बारे में उत्तर देता है ।

प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं - तारांकित, अतारांकित और अल्प सूचना प्रश्न । तारांकित प्रश्न वे प्रश्न होते हैं जिसकी सदस्य सभा में मौखिक उत्तर की अपेक्षा रखते हैं और जिसे स्टार निशान से चिह्नित किया जाता है । अतारांकित प्रश्न वे होते हैं जिनको सभा में मौखिक उत्तर के लिए नहीं रखा जाता है तथा उन पर अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते हैं । ऐसे प्रश्न का उत्तर लिखित रूप में दिया जाता है ।

तारांकित/अतारांकित प्रश्नों के लिए न्यूनतम सूचना अवधि 10 स्पष्ट दिनों की होती है । जिन प्रश्नों की सूचना दी गई है उन्हें लोक सभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार कर लेने पर उन्हें सूचीबद्ध किया जाता है तथा प्रश्न के विषय से संबंधित मंत्रालय को आवंटित तारीखों में उत्तर के लिए मुद्रित किया जाता है ।

अल्प सूचना प्रश्न, जो अविलंबनीय लोक महत्व के विषयों से संबंधित होते हैं पर सामान्य सूचना अवधि लागू नहीं होती है । तथापि, अल्प सूचना प्रश्न के लिए अध्यक्ष की अनुमति मिलने और संबंधित मंत्री द्वारा अल्प सूचना पर उत्तर दिए जाने के लिए तैयार होने पर उसका उत्तर अल्प सूचना पर ही दिया जा सकता है । अल्प सूचना प्रश्न को प्रश्न काल के तुंत पश्चात उत्तर के लिए लिया जाता है ।

प्रश्नकाल के पश्चात कार्य

प्रश्नकाल के पश्चात दिन के मुख्य कार्य लेने से पहले सभा कार्य की विविध मदों को लेती है । इनमें निम्नलिखित में से एक या अधिक शामिल हो सकते हैं:-

स्थगन प्रस्ताव, विशेषाधिकार के हनन से जुड़े मामले, सभा पटल पर रखे जाने वाले पत्र, राज्य सभा से संदेश, विधेयक पर राष्ट्रपति की अनुमति से संबंधित सूचना, ध्यानाकर्षण सूचनाएं, नियम 377 के अधीन मामले, संसदीय समितियों के प्रतिवेदनों का प्रस्तुतीकरण, याचिकाओं का प्रस्तुतीकरण, मंत्रियों के विविध वक्तव्य, समितियों के निर्वाचन संबंधी प्रस्ताव, वापस लिए जाने तथा पुरःस्थापित किए जाने वाले विधेयक ।

प्रमुख कार्य

विधेयक अथवा वित्तीय कार्य अथवा संकल्पों और प्रस्ताव पर विचार करना दिन के प्रमुख कार्यों में शामिल हैं ।

विधायी कार्य

विधायी प्रस्ताव को विधेयक के रूप में मंत्री अथवा गैर-सरकारी सदस्य द्वारा लाया जा सकता है । पूर्ववर्ती मामलों में, ऐसा विदित है कि इसे सरकारी विधेयक के रूप में जाना जाता है तथा पश्चातवर्ती मामले में इसे गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक के रूप में जाना जाता है । प्रत्येक विधेयक पारित होने से पूर्व तीन चरणों से होकर गुजरता है । विधि बनने से पूर्व, इसको संसद के दोनों सदनों लोक सभा और राज्य सभा से पारित होना होता है । तत्पश्चात राष्ट्रपति से अनुमति प्राप्त करनी होती है ।

वित्तीय कार्य

वार्षिक बजटों - सामान्य तथा रेल का प्रस्तुतीकरण - उन पर चर्चा और विभिन्न अनुदानों की मांगों पर मतदान तथा उसके बाद विनियोग पारित किया जाता है । विधेयक तथा वित्त विधेयक, जो कि एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, में प्रत्येक वर्ष बजट सत्र के दौरान सभा का अधिकांश समय लगता है ।

प्रस्ताव और संकल्प

सभा के सम्मुख, जो अन्य कार्य आते हैं वे संकल्प तथा प्रस्ताव होते हैं । संकल्प और प्रस्तावों को सरकार अथवा गैर-सरकारी सदस्यों द्वारा लाया जा सकता है । सरकार महत्वपूर्ण नीतिगत मामले अथवा गंभीर स्थिति तथा स्कीम पर स्वीकृति के बारे में सभा की राय जानने के लिए संकल्प अथवा प्रस्ताव ला सकती है । इसी तरह से, कोई गैर-सरकारी सदस्य किसी समस्या विशेष पर सभा और सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए कोई प्रस्ताव ला सकता है । गैर-सरकारी सदस्यों के कार्यों को करने के लिए आमतौर पर प्रत्येक शुक्रवार को अंत के 2 1/2 घंटे नियत होते हैं । जब कभी गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों को किसी एक शुक्रवार को लिया जाता है तो गैर-सरकारी सदस्यों के संकल्पों को अगले शुक्रवार को लिया जाता है ।

आधे घंटे की चर्चा

सदस्य आधे घंटे की चर्चा में समुचित लोक महत्व के मामले को उठा सकते हैं, जिसके संबंध में, हाल में किसी प्रश्न का मौखिक या सभा पटल पर लिखित उत्तर दिया गया हो, और जिसके संबंध में किसी तथ्य के स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो । सामान्यतः ऐसी चर्चा को केवल आधे घंटे का समय दिया जाता है ।

प्रायः सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ही आधे घंटे की चर्चा की जाती है । किसी एक सत्र के दौरान, कोई भी सदस्य केवल दो बार आधे घंटे की चर्चा में भाग ले सकता है । चर्चा के दौरान, सदस्य जिसने संक्षिप्त वक्तव्य देने की सूचना दी है तथा चार सदस्य, जो पहले ही सूचना दे चुके हैं तथा बैलट में शुरू के चार स्थान पर आते हैं, को किसी भी मामले में आगे स्पष्टीकरण देने के लिए एक प्रश्न पूछने की अनुमति दी जाती है । तत्पश्चात संबंधित मंत्री उत्तर देते हैं । सभा के सम्मुख न कोई औपचारिक प्रस्ताव और न मतदान होता है ।

अविलंबनीय लोक महत्व के मामलों पर चर्चा

सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से अविलंबनीय लोक महत्व के मामलों पर चर्चाए उठा सकते हैं । ऐसी चर्चाएं एक सप्ताह में दो दिन हो सकती हैं । ऐसी चर्चा के लिए सभा में कोई औपचारिक प्रस्ताव पेश नहीं होता और न ही कोई मतदान होता है ।

सभा में वाद-विवाद

कार्य की किसी मद पर चर्चा शुरू करने वाले सदस्य के बोल चुकने के पश्चात् अन्य सदस्य कार्य की उस मद पर ऐसे क्रम में बोल सकते हैं जिस क्रम में अध्यक्ष उन्हें बुलाए । एक बार में केवल एक ही सदस्य बोल सकता है और सभी भाषण अध्यक्षपीठ को संबोधित किए जाते हैं । सभा के निर्णय की आवश्यकता वाले मामले पर निर्णय किसी सदस्य द्वारा किए गए प्रस्ताव पर अध्यक्ष द्वारा किए गए प्रश्न के जरिए किया जाता है ।

मत विभाजन

मत विभाजन एक ऐसा प्रकार है जिसमें सभा का निर्णय अभिनिश्चित होता है । सामान्यतः, जब कोई प्रस्ताव सभा के समक्ष रखा जाता है तो उसके पक्ष व विपक्ष में सदस्य अपने स्थानों से ही "हाँ " या "नहीं " कहकर अपनी राय व्यक्त करते हैं । अध्यक्ष ध्वनिमत के अनुसार चलता है और घोषणा करता है कि प्रस्ताव सभा द्वारा स्वीकृत या अस्वीकृत हुआ है । यदि कोई सदस्य निर्णय को चुनौती देता है तो अध्यक्षपीठ आदेश देता है कि लॉबी खाली की जाए । तब मत विभाजन घंटी बजती है और संसद भवन, व संसद ग्रंथालय भवन, संसद सौध के विभिन्न हिस्सों और कमरों में लगी घंटियों का समस्त नेटवर्क लगातार साढ़े तीन मिनट तक बजता है । सदस्य और मंत्री सभी ओर से तुंत कक्ष में आ जाते हैं । घंटी बजना बंद हो जाने पर कक्ष के सभी द्वार बंद कर दिए जाते हैं और मत विभाजन समाप्त हो जाने तक कोई भी व्यक्ति न तो प्रवेश कर सकता है और न ही बाहर जा सकता है । तत्पश्चात् अध्यक्षपीठ प्रश्न को दोबारा रखता है और घोषणा करता है कि उसके विचार में "हां " वाले या "ना " वाले जीत गए हैं । यदि इस घोषित राय पर फिर आपत्ति की जाती है तो अध्यक्ष यह निदेश देता है कि मत स्वचालित मत-यंत्र के माध्यम से रिकॉर्ड किए जाएं ।

स्वचालित मतदान अंकन प्रणाली

अध्यक्ष के मत रिकॉर्ड करने की घोषणा के साथ ही महासचिव कुंजी-पटल का बटन दबाता है । तत्पश्चात् एक घंटी बजती है जो सदस्यों के लिए अपने मत का प्रयोग करने का संकेत होती है । मतदान करने के लिए कक्ष में उपस्थित प्रत्येक सदस्य को एक स्विच दबाकर अपने स्थान लगे तीन पुश बटनों में से एक को दबाना होता है । पुश स्विच को 10 सेकेण्ड बाद दूसरी बार घंटी बजने तक दबाए रखना चाहिए । कक्ष में अध्यक्षपीठ की दोनों ओर दीवार पर दो सूचक बोर्ड लगे होते हैं । सदस्य द्वारा किया गया प्रत्येक मतदान उस पर दिखाई देता है । मतदान कर दिए जाने के तत्काल बाद उनका यांत्रिक योग किया जाता है और परिणामों का ब्योरा अध्यक्ष और राजनयिक दीर्घाओं की रेलिंग पर लगे परिणाम सूचक बोर्डों पर आ जाता है । मतविभाजन सामान्यतः स्वचालित मतदान अंकन यंत्र की सहायता से किया जाता है । जहाँ अध्यक्ष लोक सभा के प्रक्रिया नियमों में संगत उपबंध के अनुसार निदेश देता है । मतविभाजन "हाँ"/"नहीं" और "भाग नहीं लिया" पर्चियों का सभा में सदस्यों को वितरण कर या सदस्यों द्वारा लॉबियों में जाकर अपना मतदान करके किया जाता है ।

मतदान का परिणाम

दूसरा श्रव्य अलार्म बजने के तत्काल बाद प्रणाली "हाँ" व "नहीं" तथा "भाग नहीं लिया" मतदानों को जोड़ करना शुरू कर देती है और "हाँ ", "नहीं " तथा " भाग नहीं लिया " की कुल संख्या कुल परिणाम प्रदर्शन बोर्डों पर दिखाई देती है । इसमें उन कुल सदस्यों की संख्या को भी दर्शाया जाता है जिन्होंने अपने मत का प्रयोग किया है । मतविभाजन का परिणाम अध्यक्ष, महासचिव के पटल पर और ध्वनि नियंत्रण कक्ष में लगे मॉनीटरों पर भी आ जाता है । परिणाम के आते ही मतदान परिणाम का एक प्रिंट आउट स्थायी रिकॉर्ड के लिए ले लिया जाता है ।

वाद-विवाद का प्रकाशन

लोक सभा वाद-विवाद के तीन संस्करण तैयार किए जाते हैं अर्थात् हिन्दी संस्करण, अंग्रेजी संस्करण और मूल संस्करण । हिंदी और अंग्रेजी संस्करणों को ही मुद्रित किया जाता है । मूल संस्करण को रिकॉर्ड और संदर्भ के लिए साइक्लोस्टाइल्ड रूप में संसद ग्रंथालय में रखा जाता है । हिंदी संस्करण में हिंदी में पूछे गए सभी प्रश्न और उनके दिए गए उत्तर तथा हिंदी में दिए गए भाषण और साथ ही प्रश्नों और उत्तरों तथा अंग्रेजी या क्षेत्रीय भाषाओं में दिए गए भाषणों का शब्दशः हिंदी अनुवाद होता है । अंग्रेजी संस्करण में अंग्रेजी में लोक सभा कार्यवाही और हिंदी या किसी क्षेत्रीय भाषा में हुई कार्यवाही का अंग्रेजी अनुवाद होता है । तथापि, मूल संस्करण में उसी रूप में हिंदी या अंग्रेजी कार्यवाही दी होती है जिस रूप में वह वास्तव में सभा में हुई और साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में दिए गए भाषणों का अंग्रेजी/हिंदी अनुवाद दिया होता है ।

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